“ श्री निर्विकार पथ की चेतावनी -- उठ जाग युवा जाग ''
“निर्विकार पथ की चेतावनी --- उठ जाग युवा जाग “
आधुनिकता का क्या अर्थ हैं ?
शराब का सेवन करना , अपने बुड़े मां – बाप को बोझ समझना या इतना पढ़ा लिखा होने के बाद भी समाज में एड्स पीड़ितों के साथ अमानविय व्यवहार करना । यदि इसी को आधुनिकता कहते है । जहां चार लोगों के बिच में अपने आपको मॉर्डन दिखाने के चक्कर में एक युवक शराबी बन जाता है । चार दिन की जिन्दगी के मज्जे लेने के लिए बच्चे अपने बुड़े माता – पिता को वृद्द आश्रम छोड़े देते है । यदि इसी को आधुनिकता कहते है तो ऐसी आधुनिकता का क्या मतलब जो युवकों को प्रगति की राह में ना ले जाकर विनाश के चक्रव्यु मे फसाता जा रहा हैं ।आज हम अपने इस लेख के माध्यम सें सभी माता –पिता वा युवा वर्ग को ये संदेश देना चाहते हैं। कि आधुनिकता के वास्तविक अर्थ को समझो उसके सकारात्मक पहलुओं को अपनाओं और निर्विकार बनों । फिर देखना वास्तिवक आनंदमयी जीवन का क्या अनुभव होता है जो किसी डिसक या पब में जाकर कभी नही मिल सकता । आज हमारा जितना भी युवा वर्ग है उसके अन्दर हमेशा ये सवाल रहता कि लहसुन –प्याज का त्याग करना , शराब – मांस का त्याग करना ,जीवन को नियम के साथ जिना धकिया नुसि बाते है । जिन्दंगी तो चार दिन कि है उसे मस्ती से जिओ किसने देखा कि मरने के बाद क्या होता है । तो हम आपको ये बताना चाहते है कि यदि ये सब बाते धकिया नुसि है तो क्यों आज भारत में 60 प्रतिशत अपराध युवाओं के द्दारा हो रहे है ।इसका सिर्फ एक मात्र कारण है आज युवाओं की दैनिक जीवन चर्या और खान पान की व्यवस्था । इस विकारपूर्ण जीवन को जब तक निर्विकार नही किया जाएंगा तब तक हर युवक विनाश के पथ पर चलता रहेगा । यदि आप सभी चाहते है की आपके बच्चों के अन्दर से ये सभी विकार दूर हो तो आप भी स्वयं जागों और अपने बच्चो को भी जगाओं । जो सिर्फ सम्भव हैं श्री निर्विकार पथ पर चलकर । आगे हम आपकों श्री निर्विकार पथ से अवगत कराने जा रहे है । श्री निर्विकार पथ का अर्थ है एक ऐसा अति सहज रास्ता जिस पर चलकर हर मनुष्य विकार मुक्त जीवन जिता है । श्री निर्विकार पथ के प्रकटकर्ता है परम् पूज्य श्री श्रीबाबाश्री जी आपने 1984 में माँ श्री नर्मदा जी की परिक्रमा पूर्ण की ओर माँ से विधियों का ज्ञान प्राप्त किया ।तब से आप लगातार युवा वर्ग को उसके विकारपूर्ण जीवन रुपी पथ से निकालकर श्री निर्विकार पथ की ओर अग्रसर कर रहे है । ताकि हर युवा आधुनिकता के नाम पर अपने जीवन को नशायुक्त व अपने विचारों को लकवाग्रस्त ना कर पाए । श्री निर्विकार पथ में कुछ दैविक विधिया हैं जो यें दर्शाती हैं कि हर युवा को अपना दैनिक जीवन कैसे जीना चाहिए, कैसे उठना चाहिए , क्या खाना चाहिए , क्या नही करना चाहिए।जैसे –जैसे आज का युवा चकाचोन्द की जिन्दगी को देकर कर कलयुग के पंजे में फसता जा रहा है वैसे वैसे वो अपने जीवन का मुल्य भुलता जा रहा है । इसलिए ये जरुरी होता जा रहा है कि आज हर युवा निर्विकार हो।
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